ख्वाबों की राहों में: ज़िंदगी की यादों की कहानी
ज़िंदगी की राहों में चलते चलते,
धूप और छाँव के साथ मुस्कान खो गई।
हर पल था जीने का ख्वाब दिल में,
मगर कहाँ गुम हो गई वो ज़िंदगी।
मोहब्बत की चाहत थी अपने दिल में,
पर तालाब बन गया हर एक रिश्ता।
खुद को खो बैठे थे हम राहों में,
मोहब्बत की धूप में थी वो रोशनी।
दिल के ज़ख़्मों को छूने वाले हमसफ़र,
वो रूह की गहराई में उतर गए।
प्यार की मोहब्बत थी ज़िंदगी का मकसद,
पर वो रिश्ता बन गया सिर्फ़ यादों में।
ख़्वाबों की दुनिया में भटक रहे हैं हम,
वो बुने हुए सपने छूट गए हाथ से।
यादों के संग सजी ये ज़िंदगी की किस्सा,
अब बस एक अधूरा ख्वाब रह गया पासे।
धड़कनों की ताल सुनाती है ये सदियों,
किस्से बन गए हम खुद की कहानी।
ज़िंदगी की धूप में चमकते थे हम,
पर अब तारों की रौशनी बन गए गुमनामी।
Comments
Post a Comment